अयस्क क्या है, अयस्क की परिभाषा, अयस्कों का सांद्रण तथा सांद्रण की विधि, झाग प्लवन विधि, गुरुत्व पृथक्करण या द्रवीय धावन विधि
अयस्क का सांद्रण कई प्रकार से किया जाता है ये धातु पे निर्भर करता है, धातु किस तरह की है, धातु में कितनी अधिक अशुद्धियां है। अयस्क का सांद्रण करने की नीचे निम्नलिखित विधियां बतायी गयी है।
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अयस्क
वे धातुएं जो खनिजो से प्राप्त की जाती है तथा इन धातुओ का शुद्धिकरण किया जाता है अयस्क कहलाती है।
जब जमीन के अंदर से धातुओ (खनिजो) को प्राप्त किया जाता है, तो उन धातुओ में मिश्रण होता है। जैसे- मिट्टी, रेत, कंकण, क्रिस्टल आदि का, जब इन पदार्थों को पूर्ण रूप से शुद्ध किया जाता है। तो उपयोगी धातु प्राप्त होती है।
अयस्क में उपस्थित अशुद्धियों को दूर करने की प्रक्रिया सांद्रण कहलाती है।जब जमीन के अंदर से धातुओ (खनिजो) को प्राप्त किया जाता है, तो उन धातुओ में मिश्रण होता है। जैसे- मिट्टी, रेत, कंकण, क्रिस्टल आदि का, जब इन पदार्थों को पूर्ण रूप से शुद्ध किया जाता है। तो उपयोगी धातु प्राप्त होती है।
अयस्को का सांद्रण
अयस्क का सांद्रण कई प्रकार से किया जाता है ये धातु पे निर्भर करता है, धातु किस तरह की है, धातु में कितनी अधिक अशुद्धियां है। अयस्क का सांद्रण करने की नीचे निम्नलिखित विधियां बतायी गयी है।
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इलेक्ट्रोड विभव तथा मानक इलेक्ट्रोड विभव
1. झाग प्लवन विधि
इस विधि के द्वारा मुख्य रूप से सल्फाइड अयस्को का सांद्रण किया जाता है। सल्फाइड अयस्को को तेल या जल के मिश्रण में डाला जाता है। तो सल्फाइड अयस्क की अशुद्धियाँ तुरंत ही जल में भीगने लग जाती है। और वे शीघ्र ही भारी हो जाती है। तथा शुद्ध धातु के कण को तेल में भिगाया जाता है। ये क्रिया कार्बन डाइऑक्साइड की उपस्थिति में होने के कारण झाग बन जाती है। और शुद्ध धातु के कण दिखने लगते है।
2. गुरुत्व पृथक्करण या द्रवीय धावन विधि
गुरुत्व पृथक्करण या द्रवीय धावन विधि द्वारा सल्फाइट अयस्को का सांद्रण किया जाता है।
इस विधि के द्वारा सल्फाइट अयस्को का सांद्रण करने के लिए सबसे पहले अयस्क को तोड़कर चुर्ण बना लिया जाता है। और इसको टैंक में डाल दिया जाता है पानी की प्रबल धारा को प्रवाहित किया जाता है। इस कारण अधात्री अशुद्धियों के कण हल्के होने के कारण पानी के साथ बह जाते है और शुद्ध धातु के कण भारी होने के कारण गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव में नीचे बैठ जाते है।
1. अयस्क के सांद्रण की यह विधि अयस्क तथा अपद्रव्यों के विशिष्ट गुरुत्व के अंतर पर निर्भर करती है।
2. इस विधि का प्रयोग अयस्क के कणों का घनत्व अधिक तथा गैंग के कणों का घनत्व कम होने पे किया जाता है।
3. इस विधि के द्वारा भारी अयस्को को जैसे- टिन स्टोन (SNO₂) तथा लोह स्टोन (Fe₃O₄) का सांद्रण किया जाता है।
इस विधि के द्वारा सल्फाइट अयस्को का सांद्रण करने के लिए सबसे पहले अयस्क को तोड़कर चुर्ण बना लिया जाता है। और इसको टैंक में डाल दिया जाता है पानी की प्रबल धारा को प्रवाहित किया जाता है। इस कारण अधात्री अशुद्धियों के कण हल्के होने के कारण पानी के साथ बह जाते है और शुद्ध धातु के कण भारी होने के कारण गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव में नीचे बैठ जाते है।
1. अयस्क के सांद्रण की यह विधि अयस्क तथा अपद्रव्यों के विशिष्ट गुरुत्व के अंतर पर निर्भर करती है।
2. इस विधि का प्रयोग अयस्क के कणों का घनत्व अधिक तथा गैंग के कणों का घनत्व कम होने पे किया जाता है।
3. इस विधि के द्वारा भारी अयस्को को जैसे- टिन स्टोन (SNO₂) तथा लोह स्टोन (Fe₃O₄) का सांद्रण किया जाता है।
3. चुम्बकीय पृथक्करण में
इस विधि का उपयोग तब किया जाता है। जब अयस्क चुम्बकीय तथा अशुद्धियां अनुचुम्बकीय हो या अयस्क के कण चुम्बक द्वारा आकर्षित होते हो।
जैसे-- लोह का अयस्क मैग्नेटाइट Fe3O4 चुम्बकीय होते है। जबकी इसमे उपलब्ध अशुद्धियां अनुचुम्बकीय होती है।
इसमें दो पहिये होते हैं, जिनपे पट्टा चढ़ा होता है और उसपे अयस्क को डाला जाता है यदि धातु चुम्बकीय है, तो पहिये के पास में इकठ्ठा हो जाती है और अशुद्धियां अनुचुम्बकीय होने के कारण दूर जाकर गिरती है।
Q-1 अघात्री किसे कहते है?
A-1 अयस्क में पायी जाने वाली धातुए जैसे- कंकण, रेत, मिट्टी आदि को अघात्री कहते हैं।
Q-2 झाग प्लवन विधि में झागकारक कौनसा रासायनिक पदार्थ है?
Ans-2 झाग प्लवन विधि में चीड़ का तेल या यूकेलिप्टस का तेल झागकरक रासायानिक पदार्थ है।
Q-3 चुम्बकीय प्रथक्करण विधि में उस अयस्क का नाम बताइये जो चुम्बकीय प्रकृति प्रदर्शित करता है?
Ans-3 चुम्बकीय प्रथक्करण विधि में मैग्नेटाइट (Fe₃ O₄) अयस्क चुम्बकीय प्रकृति प्रदर्शित करता है।
जैसे-- लोह का अयस्क मैग्नेटाइट Fe3O4 चुम्बकीय होते है। जबकी इसमे उपलब्ध अशुद्धियां अनुचुम्बकीय होती है।
इसमें दो पहिये होते हैं, जिनपे पट्टा चढ़ा होता है और उसपे अयस्क को डाला जाता है यदि धातु चुम्बकीय है, तो पहिये के पास में इकठ्ठा हो जाती है और अशुद्धियां अनुचुम्बकीय होने के कारण दूर जाकर गिरती है।
Q-1 अघात्री किसे कहते है?
A-1 अयस्क में पायी जाने वाली धातुए जैसे- कंकण, रेत, मिट्टी आदि को अघात्री कहते हैं।
Q-2 झाग प्लवन विधि में झागकारक कौनसा रासायनिक पदार्थ है?
Ans-2 झाग प्लवन विधि में चीड़ का तेल या यूकेलिप्टस का तेल झागकरक रासायानिक पदार्थ है।
Q-3 चुम्बकीय प्रथक्करण विधि में उस अयस्क का नाम बताइये जो चुम्बकीय प्रकृति प्रदर्शित करता है?
Ans-3 चुम्बकीय प्रथक्करण विधि में मैग्नेटाइट (Fe₃ O₄) अयस्क चुम्बकीय प्रकृति प्रदर्शित करता है।